Jodhpur Court,Asaram, Minor Rape Case

जोधपुर की एक अदालत ने कथावाचक आसाराम को नाबालिग से बलात्कार के मामले में आज दोषी करार दिया। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अदालत के विशेष न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने जोधपुर सेंट्रल जेल परिसर में यह फैसला सुनाया। फैसले पर विस्तृत जानकारी आना अभी बाकी है। पीड़िता ने आसाराम पर उसे जोधपुर के नजदीक मनाई इलाके में आश्रम में बुलाने और 15 अगस्त 2013 की रात उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था। आसाराम मामले में अंतिम सुनवाई एससी/एसटी मामलों की विशेष अदालत में सात अप्रैल को पूरी हो गई थी और फैसला 25 अप्रैल तक के लिए सुरक्षित रखा गया था।

क्या है आरोप?
आसाराम पर उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की एक किशोरी के साथ बलात्कार करने का आरोप है जो मध्य प्रदेश के ङ्क्षछदवाड़ा स्थित उनके आश्रम में पढ़ाई कर रही थी वहीं आसाराम ने बलात्कार के आरोपों का खंडन किया है। पीड़िता ने आसाराम पर उसे जोधपुर के नजदीक मनाई इलाके में आश्रम में बुलाने और 15 अगस्त 2013 की रात उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था।

भारी संख्या में समर्थकों को जमावड़ा

Jodhpur Court,Asaram, Minor Rape Case
जोधपुर जेल के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है जहां पहले से निषेधाज्ञा लागू है। कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर केन्द्र ने राजस्थान, गुजरात और हरियाणा सरकारों से सुरक्षा कड़ी करने और अतिरिक्त बल तैनात करने को कहा था। 77 वर्षीय आसाराम के तीनों राज्यों में भारी संख्या में समर्थक हैं।

तीनों राज्य की सुरक्षा कड़ी
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कल कहा था कि गृह मंत्रालय ने तीनों राज्यों से सुरक्षा कड़ी करने और यह सुनिश्चित करने को कहा है कि फैसले के बाद किसी भी तरह की ङ्क्षहसा न हो। तीनों राज्यों को संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बल तैनात करने को भी कहा गया है। गृह मंत्रालय का यह परामर्श डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बलात्कार के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद हरियाणा, पंजाब तथा चंडीगढ़ में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के मद्देनजर भेजा गया है।

12 बार हो चुकी है जमानत याचिका खारिज
आसाराम पर गुजरात के सूरत में भी बलात्कार का एक मामला चल रहा है जिसमें उच्चतम न्यायालय ने अभियोजन पक्ष को पांच सप्ताह के भीतर सुनवायी पूरी करने का निर्देश दिया था। आसाराम ने 12 बार जमानत याचिका दायर की, जिसे छह बार निचली अदालत ने, तीन बार राजस्थान उच्च न्यायालय और तीन बार उच्चतम न्यायालय ने खारिज किया।