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पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस हादसे के बाद कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी ने रेल हादसों को रोकने के लिए कई सुझाव दिए हैं। कमिश्नर रेलवे सेफ्टी ने यह सुझाव दिया है कि रेलवे को ट्रैक मेंटेनेंस के लिए जरूरी सेफ्टी ड्राइव अभियान चलाना चाहिए। इस अभियान के दौरान रेल कर्मचारियों को इस बात की पूरी जानकारी देनी चाहिए कि किन-किन चीजों से रेलगाड़ी को सुरक्षित रखा जा सकता है।

खतौली में हुई 19 अगस्त की दुर्घटना के दौरान कमिश्नर रेलवे सेफ्टी ने पाया था कि रेलवे ने मेंटेनेंस के लिए जरूरी वक्त नहीं दिया है, जिसके कारण बगैर ब्लॉक लिए हुए रेल ट्रैक के मेंटेनेंस का काम किया जा रहा था और इसी वजह से खतौली रेल हादसा हुआ था।

कमिश्नर ने दिए कई सुझाव-
कमिश्नर रेलवे सेफ्टी ने उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक को लिखे अपने पत्र में कहा है कि रेल ट्रैक पर बढ़ते हुए दबाव और कम संसाधनों को देखते हुए रेलवे को इंटीग्रेटिड कॉरिडोर ब्लॉक सिस्टम बनाना चाहिए। इसके साथ ही कॉरिडोर ब्लॉक कम से कम 4 घंटे के लिए दिया जाना चाहिए। यदि ऐसा संभव नहीं हो पाता है, तो ढाई-ढाई घंटे के दो ब्लॉक दिए जाने चाहिए। ट्रैक मेंटेनेंस के लिए मांगे जाने वाले ब्लॉक का लेखा-जोखा रखने के लिए उचित व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे यह बात साफ-साफ जाहिर हो सके कि कब ब्लॉक दिया गया है या नहीं दिया गया है, इसके साथ ही इस बात की भी सावधानी बरती जाए कि ब्लॉक देने या ना देने का फैसला उचित स्तर पर किया जाना चाहिए, जिससे असुरक्षित तरीके से रेलवे ट्रैक के मेंटेनेंस का काम दोबारा न हो।

खतौली में जिस तरीके का रेल हादसा हुआ है वैसा रेल हादसा दोबारा न हो, इसके लिए कमिश्नर रेलवे सेफ्टी ने सुझाव दिया है कि अन्य रेलवे ऐप्स की तरह रेलवे के ब्लॉक को देने या न देने संबंधी जानकारी को भी एक वेब ऐप के जरिए भी पारदर्शी तरीके से किया जा सकता है। इस तरह का ऐप बन जाने के बाद हर स्तर के रेलवे अधिकारियों को हाथो-हाथ रेलवे के मेंटेनेंस के बारे में जानकारी रहेगी और इस तरह के काम को सुचारु रूप से करने में मदद हासिल होगी।

इसके साथ ही कमिश्नर रेलवे सेफ्टी ने यह भी सुझाव दिया है कि रेलवे को अपने कंट्रोल स्टाफ को समयबद्ध तरीके से ट्रेनिंग देने के लिए एक मॉड्यूल बनाना चाहिए, जिससे फील्ड में रहने वाले स्टाफ की दिक्कतों और परेशानियों को समझ कर उनको दूर करने का प्रयास किया जा सके।