rajesh talwaar

नई दिल्ली : देश के बहुचर्चित आरुषि हत्याकांड में दोषी पाए गए मुख्य आरोपियों राजेश तलवार और नूपुर तलवार को कल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रिहा कर दिया है। मगर अभी तक इनकी जेल से रिहाई नहीं हो पायी है।

सोमवार को ही मिलेगी जेल से रिहाई 

दरअसल हुआ ऐसा है कि अभी तक जेल को हाई कोर्ट के फैसले की कॉपी ही नहीं मिली है जिसके वजह से रिहाई के आर्डर आने के बाद भी तलवार दंपति को जेल में ही रात गुजारनी पड़ रही है। और सबसे बड़ी बात ये है कि शनिवार और रविवार को अवकाश होने की वजह से अब उन्हें सोमवार को ही जेल से आज़ादी मिल सके।

फैसले की कॉपी अब तक नहीं पहुंची जेल 

बता दें कि इस समय तलवार दंपति गाजियाबाद की डासना जेल में कैद हैं। डासना जेल के जेल सुप्रिडेंडेट दधिराम ने बताया कि अभी तक उनके पास कोर्ट ऑर्डर की कॉपी नहीं पहुंची है और जब ऑर्डर की कॉपी मिलेगी वह तभी आगे की कार्रवाई कर सकेंगे।

 तलवार दंपति ने रात में खाया पूड़ी-सब्जी 

आपको बता दे कि कल जैसे ही हाई कोर्ट ने तलवार दंपति को बेगुनाह घोषित करते हुए उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया उसके बाद से ही राजेश तलवार और नूपुर तलवार काफी खुश हैं। कल रात जेल में भी कई साल बाद बेहद खुश नज़र आये थे। रात को खाने में भी उन्होंने पूड़ी-सब्जी खाई थी और आज सुबह के नाश्ते में भी उन्होंने चाय ली थी।

हाई कोर्ट ने लगायी सीबीआई को फटकार 

कोर्ट का फैसला आने के बाद से जेल के बाकि कैदी भी खुश नज़र आ रहे हैं। कल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तलवार दंपति के हक़ में फैसला सुनाते हुए सीबीआई को भी जमकर फटकार लगायी थी। हाई कोर्ट ने सीबीआई की जांच में कई खामियां थी कि किस तरह सीबीआई ने सिर्फ एक एंगेल की तरफ ध्यान देते हुए झूठा खुलासा कर दिया था। हाईकोर्ट ने विशेष सीबीआई ट्रायल कोर्ट के जजों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे फिल्म डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे हैं।

शक कितना भी गहरा हो सबूत में नहीं बदल सकता 

1 हर केस में दो पक्ष हो सकते हैं ,एक अपीलकर्ता के अपराध की ओर इशारा करता है दूसरा मासूमियत की तरफ।

केस में शक कितना भी गहरा हो, लेकिन सबूतों की जगह नहीं ले सकता है।

3  निजी अनुमान को हकीकत का रूप नहीं देना चाहिए, फैसले में पारदर्शिता जरूरी है।

सीबीआई कोई भी ऐसा सबूत ढूंढने में पूरी तरह से असफल रही जो यह साबित कर सके कि हेमराज का कत्ल आरुषि के बेडरुम में ही हुआ था और उसकी लाश को बेड शीट में बांध कर छत पर ले जाया गया।

सीबीआई के अधिकारियों को एक गणित के टीचर के तौर पर काम नहीं करना चाहिए ,जो कि कुछ निश्चित आकृति के आधार पर सवाल को हल कर रहा हो।

जिस तरह से केस के ट्रायल में एक फिल्म डायरेक्टर की तरह बिखरे हुए सबूतों को समेटने की कोशिश की गई।लेकिन तथ्यों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

सुप्रीम कोर्ट भी जाने का विचार करेगा सीबीआई 

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के तलवार दंपति के हक़ में जाने से के सीबीआई को बड़ा झटका लगा है। सीबीआई काकहना है कि उसे अभी फैसले की कॉपी नहीं मिली है। फैसले की कॉपी पढ़ने के बाद आगे सुप्रीम कोर्ट में अपील के बारे में विचार किया जाएगा।

क्या था मामला 

आपको बता दें कि सीबीआई कोर्ट ने आरुषि और हेमराज की हत्या के मामले में तलवार दंपति को 26 नवंबर, 2013 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने कहा कि सिर्फ परिस्थितियों और रिकार्ड में दर्ज साक्ष्यों के मुताबिक तलवार दंपति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस तरह से उसने तलवार दंपति को सीबीआई अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को खारिज करते हुए राजेश तलवार और नूपुर तलवार को रिहा कर दिया।