Gauri Lankesh Murder Case, SIT, Arrest, Gauri Lankesh

वरिष्ठ पत्रकार और एक्टिविस्ट गौरी लंकेश की पिछले दिनों बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी। गौरी लंकेश की दुखद हत्या पर देशभर के पत्रकारों समेत अधिकांश सामाजिक संगठनों ने भी कड़ा विरोध जताया था। एक नेक दिल और निश्वार्थ भाव समान गौरी लंकेश की हत्या विचारों की आज़ादी पर अपराध की गुलामी की कहानी दोहरा रहा है।

परन्तु कहते हैं ना कि एक पवित्र दिल मरने के बाद भी धड़कता है। कुछ ऐसा ही कर के गयी हैं गौरी लंकेश ,जो शायद अब दुनिया न देख पाए पर उनकी नेक सोच से कोई और ज़रूरतमंद ज़रूर दुनिया के रंगो को महसूस ही नहीं बल्कि देख भी पायेगा। जी हाँ दिवगंत पत्रकार गौरी लंकेश ने मरने से बेंगलुरु के मिंटो ऑप्थैल्मिक हॉस्पिटल को अपनी आंखे दान कर दी थी। गौरी की मौत के बाद पिछले दिनों ही हॉस्पिटल ने गौरी के भाई इंद्रजीत लंकेश को आंखे दान करने का प्रमाणपत्र भी सौंप दिया है।गौरी के भाई इंद्रजीत ने मीडिया को बताया कि उनकी बहन बचपन से ही सबकी मदद करने वाली इंसान थी। उनका ये सपना था कि वो किसी अंधे इंसान की मदद कर सके इसलिए उन्होंने अपनी आंखे पहले ही हॉस्पिटल को डोनेट कर दी थी। इंद्रजीत ने आगे बताया कि अपनी बहन की मौत से वो बेहद दुखी हैं पर उन्हें इस बात की भी ख़ुशी है कि उनकी बहन की वजह से किसी और की ज़िन्दगी में उजाला आ जाएगा।इंद्रजीत ने कहा गौरी को किसी से ना कोई खतरा था और ना ही डर। वो अपने हर काम को ईमानदारी के साथ करना पसंद करती थी। इंद्रजीत ने कहा कि वह मेरी बहन थीं लेकिन उनका काम पूरे समाज की बेहतरी के लिए ही था। गौरी के भाई इंद्रजीत ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।

आपको बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की मंगलवार रात करीब साढ़े आठ बजे गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी। सूत्रों के मुताबिक काम से लौटकर जब वो अपने घर का दरवाजा खोलने की कोशिश कर रही थी तभी पीछे से अज्ञात हमलावरों ने पीछे से गोली मार दी जिससे उनकी मौकाए वारदात पर ही मौत हो गयी। शुरूआती जांच में सामने आया है कि उन्हें बेहद करीब से सिर पर ही तीन गोलियां मारी गयी थी।देशभर के पत्रकारों ने गौरी लंकेश की हत्या की कड़ी निंदा की है। उनकी हत्या के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। गौरी लगातार अखबारों में कॉलम लिख रहीं थीं और टीवी न्यूज चैनल डिबेट्स में भी शामिल होती थीं।सूत्रों के मुताबिक़पिछले कुछ समय से लंकेश के दक्षिणपंथी संगठनों से वैचारिक मतभेद जगजाहिर थे, जिसकी वजह से उन्हें धमकियां भी मिलती रहती थीं। इसके अलावा कुछ ही वक्त पहले उन्हें एक लेख की वजह से मुकदमा भी झेलना पड़ा था।