शंकर सिंह बघेला

गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। तीन सीटों पर चार उम्मीदवार खड़े हैं। बीजेपी की ओर से अमित शाह और स्मृति ईरानी की जीत पक्की मानी जा रही है। लड़ाई तीसरी सीट को लेकर है। जिसपर कांग्रेस नेता और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल उम्मीदवार हैं.

इस सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस से आए नेता बलवंत सिंह राजपूत को उम्मीदवार बना दिया है. बलवंत सिंह राजपूत हाल तक सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक थे. कांग्रेस के कई विधायकों के हाल में हुए इस्तीफों के बीच सहयोगी एनसीपी ने भी कांग्रेस को झटका देते हुए बीजेपी उम्मीदवार के समर्थन का ऐलान कर दिया है. मुकाबला काफी रोचक हो गया है. गांधीनगर में मतदान शुरू हो गया है. शाम 6 बजे तक नतीजे आ जाएंगे.

UPDATE-

– कांग्रेस के सभी 7 बागी विधायकों ने अपना वोट डाला।

– जेडीयू विधायक छोटू वसावा ने अपना वोट डाल दिया है, वोट डालने के बाद उन्होंने कहा कि उन्होंने पार्टी की विचारधारा को वोट दिया है। वोट डालने के बाद उन्होंने बीजेपी अमित शाह से भी मुलाकात की।

– कांग्रेस नेता अहमद पटेल पोलिंग बूथ पहुंचे।

– 44 कांग्रेस विधायक वोट डालने के लिए पहुंच गए हैं, ये सभी विधायक बस से विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस ने इन्हें दलबदल से बचाने के लिए पहले बंगलुरु और फिर गुजरात के विधायक आनंद के रिजॉर्ट में रखा था।

– कांग्रेस के कई विधायक राघवजी पटेल, धर्मेंद्र जडेजा समेत कई विधायकों ने ऐलान किया है कि उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार बलवंत राजपूत के पक्ष में वोट किया है।

– शंकरसिंह वाघेला मतदान करने पहुंचे। हाल ही में उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का ऐलान किया था। मतदान के बाद वाघेला ने कहा कि मैंने कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल को वोट नहीं दिया क्योंकि कांग्रेस जीतने नहीं जा रही।

– एनसीपी के दो विधायक भी मतदान करने पहुंचे।

– गांधीनगर में मतदान शुरू, राज्यसभा की तीन सीटों के लिए मतदान, शाम 6 बजे तक आएंगे नतीजे।

– बीजेपी उम्मीदवार बलवंत सिंह राजपूत बोले- हमारी जीत निश्चित है, हमारी पार्टी ने जो सकारात्मक राजनीति की है, उसकी वजह से हम जीतेंगे।

– राज्यसभा के लिए बीजेपी उम्मीदवार अमित शाह और स्मृति ईरानी विधानसभा पहुंचे। सीएम विजय रुपाणी भी पहुंचे।

– कांग्रेस विधायक आनंद के रिजॉर्ट से गांधीनगर के लिए हुए रवाना, राज्यसभा के लिए ये विधायक अपना वोट डालेंगे।

– अहमद पटेल रिजॉर्ट पहुंचे। विधायकों के लिए साथ वे गांधीनगर के लिए रवाना होंगे।

कांग्रेस के सम्मान का सवाल-
कांग्रेस के लिए ये लड़ाई इसलिए अहम हो जाती है कि 65 विधायकों के साथ कांग्रेस ने इस राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव और प्रभावशाली नेता अहमद पटेल को उम्मीदवार बनाया था। मगर 6 विधायकों के इस्तीफे और कई नेताओं के संपर्क से बाहर होने की वजह से कांग्रेस का सियासी गणित गड़बड़ हो गया है। हालांकि पिछले 10 दिनों से कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों को पहले बंगलुरु और अब आनंद के रिजॉर्ट में रखकर लड़ाई में बने रहने की कोशिश की है, मगर चुनाव परिणाम आने के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी।

कांग्रेस के लिए इस मुकाबले में एनसीपी के दो और जेडीयू के एक विधायक का वोट भी काफी महत्वपूर्ण है। इस मुद्दे पर एनसीपी बटी हुई दिखी। पवार की बेटी और लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि पार्टी कांग्रेस उम्मीदवार को समर्थन देगी। मगर शरद पवार की पार्टी के एक विधायक ने दावा किया है कि दोनों विधायकों को भाजपा के प्रत्याशी बलवंत सिंह राजपूत का समर्थन करने का निर्देश दिया गया है। एनसीपी विधायक कंधाल जडेजा ने गांधीनगर में संवाददाताओं से कहा है कि वह और एक पार्टी विधायक जयंत पटेल से राजपूत के समर्थन में वोट देने को कहा गया है।

जानें सीटों का गणित-
गुजरात से राज्यसभा की तीसरी सीट पर अहमद पटेल को जीतने के लिए 45 वोट चाहिए। उनकी पार्टी के पास वर्तमान में 44 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इनमें से कोई भी यदि क्रॉस वोटिंग नहीं करता है या ‘उपयुक्त में से कोई नहीं’ (नोटा) विकल्प का प्रयोग नहीं करता है, उस स्थिति में भी कांग्रेस को पटेल की जीत सुनिश्चित करने के लिए एक अतिरिक्त वोट की जरूरत होगी।

हाल ही में कांग्रेस छोड़ने का ऐलान करने वाले शंकर सिंह वाघेला की भूमिका भी इस लड़ाई में काफी अहम मानी जा रही है। वाघेला ने कांग्रेस छोड़ने का ऐलान भले ही किया है, मगर वाघेला और उनके बेटे ने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है। बलवंत राजपूत वाघेला के रिश्तेदार हैं, ऐसे में वाघेला और उनके समर्थक 6 विधायकों के बलवंत सिंह राजपूत के पक्ष में वोट करने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

काफी अहम है ये चुनाव-
गुजरात में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्यसभा की इस चुनावी जंग ने सियासी सरगर्मियां काफी बढ़ा दी हैं। बीजेपी के लिए जहां ये अपना वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश होगी, वहीं कांग्रेस के लिए अपना सम्मान बचाने की जंग होगी।