Gupt Navratri, Maa Durga, Method Of Worship, Religion, Astrology

बुधवार दि॰ 17.01.18 को प्रातः 07:47 मि॰ के बाद मूल प्रकृति जगदंबा की उपासना का पर्व माघ गुप्त नवरात्र का प्रारंभ हो जाएगा। माघ शुक्ल प्रतिपदा किंस्तुगकरण हर्षण व वज्र योग के बनने से बुध ग्रह की शांति व बुद्धिबल में वृद्धि हेतु महादुर्गा की उपासना, पूजा व उपाय श्रेष्ठ रहेगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बुध, सौरमंडल के नवग्रहों में सबसे छोटा व सूर्य से निकटतम ग्रह है। बुध ग्रह व्यक्ति को विद्वता, वाद-विवाद की क्षमता प्रदान करता है। यह जातक के दांतों, गर्दन, कंधे व त्वचा पर अपना प्रभाव डालता है। यह कम्युनिकेशन, नेटवर्किंग, विचार चर्चा व अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। कांस्य धातु प्रिय, उत्तर दिशा के स्वामी हरे रंग के बुद्धदेव का मूल अंक 5 है। देवी महादुर्गा बुद्धदेव पर अपना अधिपत्य रखती हैं। महादुर्गा व्यक्ति के 32 दांतों पर अपनी सत्ता रखती है। महादुर्गा तैंतीस कोटी देवताओं के तेज से प्रकट हुई थी। सभी देवताओं ने उन्हें अपने प्रिय अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित किया था। महादुर्गा मूलतः शिव अर्ध दंगा पार्वती का ही एक रूप है जिसके पूरक स्वयं दुर्गेश रूप में शिव हैं। माघ शुक्ल पक्ष में महादुर्गा के विशेष पूजन व उपाय से शत्रुओं पर जीत मिलती है, बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है व रोगों का शमन है।

पूजन विधि: संध्या काल में घर के ईशान कोण में हरा वस्त्र बिछाकर, महादुर्गा के चित्र की स्थापना कर विधिवत पूजन करें। कांसे के दिए गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, गोलोचन से तिलक करें, मिश्री अर्पित करें व तिल मिश्रित मूंग की खिचड़ी का भोग लगाएं। किसी माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें। पूजन उपरांत भोग प्रसाद स्वरूप वितरित करें।