सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने बीते मंगलवार के दिन एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जिसके साथ ही देश की मुस्लिम महिलाओं के लिए स्वर्णिम युग का आगाज हो गया है। पीठ के तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार करते हुए मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रही ज्यादती का खात्मा कर दिया है। परन्तु मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की राय अन्य जजों से भिन्न रही। चीफ जस्टिस ने इस मुद्दे को केंद्र सरकार के पाले में डालते हुए कहा कि केंद्र और संसद को ही इस मुद्दे पर कानून बनाना चाहिए।
तीन तलाक के ऐतिहासिक निर्णय से तीन तलाक को लेकर लंबे समय से अपने अधिकारों और न्याय की लड़ाई लड़ रही हजारों मुस्लिम महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान की लहर दौड़ गयी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से तीन तलाक से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं के साथ-साथ उनके परिवारजनों में भी ख़ासा उत्साह देखने को मिला।

तीन तलाक की वजह से मुस्लिम महिलाओं ने वर्षों ढेरों यातनाएं और जिल्लत की ज़िन्दगी झेली है।देश में कई महिलायें ऐसी भी हैं जिनको उनके पति ने सिर्फ फोन पर ही तलाक दे दिया। देश के अधिकतर मुस्लिम सऊदी अरब ,दुबई ,संयुक्त अमीरात ,अमेरिका ,इटली, फ्रांस जैसे विदेशों में जाकर पैसा कमाते हैं। इसलिए देश में कई महिलायें ऐसी भी हैं जिनको उनके पति ने सिर्फ फोन पर ही तलाक दे दिया।

जी हाँ रेहाना रज़ा के पति मतलूब ने उसे विदेश से फ़ोन पर ही तलाक दे दिया था और उससे सारे सम्बन्ध तोड़ लिए थे। इस मामले में वह उच्च न्यायालय में गई तो वहां से उसके हक में फैसला आया। वह अपनी ससुराल गई, जहां दस दिन रही भी, लेकिन उसके ससुराल वालों ने उसे तरह-तरह से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। अप्रैल-2017 में उस पर एसिड हमला भी किया गया। फोन पर मिले तीन तलाक का दंश झेल रही रेहाना रजा ने तीन तलाक पर आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा वह अपनी लड़ाई लड़ रही हैं और आने वाली पीढ़ी को इसका लाभ मिलेगा।

तलाक के बाद उन महिलाओं की ज़िन्दगी दोजख बन गयी है। तलाक के बाद ना रहने को ठिकाना ,ना समाज का आसरा मिला, ना परिवार का सहारा। इसके इतर कुछ मुस्लिम महिलाओं को तो सिर्फ पैसे के लालच में बिलावजह ही तलाक दे दिया।

ज़रा सोचकर देखिये भारत जैसा देश जिसका संविधान सबसे बड़ा और सख्त है उस देश में मुस्लिम महिलाओं ने धर्म के नाम पर सालों अमानवीय यातनाएं झेली हैं। इस्लाम में तीन तलाक है तो तीन तलाक के बाद उस महिला का गुजर बसर कैसे होगा ये प्राविधान क्यों नहीं हैं ? आखिर क्यों ? मौलवी साहब ने तीन तलाक के विरुद्ध नहीं जाने की हिदायत दे डाली ,पर बेहतर निकाह के अरमान संजोय उस महिला की उन तीन शब्दों ”तलाक -तलाक -तलाक” के बाद क्या हालत होती है ,क्या जहनुम समान ज़िन्दगी हो जाती है , इस बात का क्या किसी को ज़रा सा भी इल्म हैं ?

हम बताते हैं आपको, कि तीन तलाक एक ऐसा शब्द जिसके नाम से ,जिसके परिणाम से अब तक मुस्लिम महिलाओं की रूह कांपती थी ,जिन तीन शब्दों की वजह से उन महिलाओं की ज़िन्दगी हर पल दहशत के साये में गुजरती है।शायद आपको ये बात ज़रा बचकानी लगे पर देश में कुछ मुसलामन शौहर ने अपनी बेगम को बिना वजह या फिर बेतुकी वजह के चलते ही तलाक दे दिया। गोमतीनगर की रेहाना को टीवी देखने पर उसके पति इदरीस ने तलाक दे दिया।वहीदा बानो अकबरी का हरदोई में मोहम्मद आलम से निकाह हुआ था पर एक रात के लिए वो अपनी अम्मी के घर पर रुक गई तो उसके पति ने उसे तलाक दे दिया।

‘पर कहते हैं अल्लाह अपने बन्दों की हरदम खबर रखता है ,देर लगती है आने में ,पर उसका मरहम जख्म पर जल्द असर करता है”

कुछ ऐसा ही हुआ जब पिछले मंगलवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने उन पांच मुस्लिम् महिलाओं के हक़ में फैसला सुनाया जिनकी ज़िन्दगी तीन तलाक के बाद नर्क बन गयी थी। तीन तलाक के विरुद्ध मुख्य रूप से ,उत्तराखंड की शायरा बानो ,जयपुर की आफरीन रहमान,पश्चिम बंगाल की इशरत जहां , उत्तर प्रदेश की आतिया साबरी और गुलशन परवीन ने याचिका दायर की थी।

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उत्तराखंड की शायरा बानों को उसके पति रिजवान ने तीन तलाक देकर घर से बेदखल कर दिया था। शायरा ने बताया कि उसका छह बार गर्भपात कराया गया। उसके दो बच्चे हैं जिन्हें पति ने अपने पास रख लिया। शायरा का कहना है कि वह अपने बच्चों को साथ रखना चाहती है। शायरा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन कानून,1936 की धारा-दो की संवैधानिकता को चुनौती दी थी।

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जयपुर की रहने वाली आफरीन भी तीन तलाक का शिकार हुई उन महिलाओं में से हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आफरीन ने बताया कि इंदौर में रहने वाले उसके पति ने स्पीड पोस्ट के जरिए उसे तलाक का पत्र भेजा था। आफरीन ने बताया कि मेट्रीमोनियल साइट के जरिए उन लोगों का रिश्ता तय हुआ था। शादी के बाद उसे दहेज के लिए तंग किया जाने लगा। जब ससुराल वालों की मांग पूरी नहीं हुई तो स्पीड पोस्ट पर तलाक भेजकर उससे छुटकारा पा लिया गया।

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पश्चिम बंगाल के हावड़ा की रहने वाली इशरत को उसके पति ने दुबई से फोन पर तलाक दे दिया था। इतना ही नहीं उसके पति ने चारों बच्चों को उससे छीन लिया। इसके बाद पति ने दूसरी शादी कर ली और उसे यूं ही बेसहारा छोड़ दिया। इशरत ने याचिका दायर कर तीन तलाक को असंवैधानिक और मुस्लिम महिलाओं के गौरवपूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन बताया था।

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उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की रहने वाली आतिया के पति ने साल 2016 में एक कागज पर तीन तलाक लिखकर उससे रिश्ता तोड़ लिया था। साल 2012 में दोनों की शादी हुई थी। उनकी दो बेटियां हैं। आतिया का आरोप है कि दो बेटी होने से उसके पति और ससुर नाराज थे। ससुरालवाले आतिया को घर से निकालना चाहते थे। उसे जहर खिलाकर मारने की भी कोशिश की गई थी।

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उत्तर प्रदेश के रामपुर की रहने वाली गुलशन को उसके पति ने नोएडा से दस रुपये के स्टांप पेपर पर लिखकर तलाकनामा भेज दिया था। पति नोएडा में काम करता था। गुलशन की शादी 2013 में हुई थी। गुलशन का आरोप है कि पति शुरू से ही उसे पसंद नहीं करता था, इसीलिए बिना किसी बात के तीन साल बाद अचानक स्टांप पेपर पर तीन तलाक लिखकर भेज दिया। उसका दो साल का बेटा है।

पर मंगलवार का सूरज इन पांच महिलाओं के साथ साथ पूरे देश की मुस्लिम महिलाओं के लिए एक नया सवेरा लेकर आया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इन पाँचों महिलाओं के साथ ही देश की सभी मुस्लिम महिलाओं को जीने का जज़्बा मिला है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को असंवैधानिक करार करते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया जिसकी चौतरफा प्रशंसा हो रही है।

पर देश में कुछ अनपढ़ ऐसे भी हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के नहीं खुद के कानून पर अमल करना मुनासिब समझा है।

सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा बना ये शख्स , भरी पंचायत में बोला ”तलाक,तलाक तलाक”

जहां एक तरफ देश में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मुस्लिम्स समाज समेत समूचे देश की महिलाओं ने सम्मान किया तो वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले दरकिनार करते हुए मेरठ के सरधना क्षेत्र में रहने वाले एक शख्स ने इस फैसले के अगले ही दिन अपनी पत्नी को भरी पंचायत के सामने तीन बार तलाक -तलाक -तलाक बोलते हुए अपने घर से बेदखल कर दिया है।

पीड़िता के मुताबिक़ उसका निकाह आज से छः साल पहले सियाज खान के बेटे रियाज खान से हुई थी और मेरे पिता ने शादी में करीब पांच लाख रुपए खर्च किए थे। लेकिन मेरे पति सियाज खां, ससुर रियाज खां, सास मोइना और नन्द जौनत शादी से खुश नहीं थे।”मेरे ससुराल वाले पिछले छह साल से दहेज के लिये मुझे प्रताड़ित कर रहे हैं। मेरे साथ मारपीट भी करते हैं और मेरे पति बार-बार कहते हैं कि दहेज में एक लाख रुपए और सेंट्रो कार लेकर आओ नहीं तो तलाक दे दूंगा। दहेज की मांग पूरी करने के लिये मेरे पिता ने बीच-बीच में तीन बार 50-50 हजार रुपए दिये, जिससे मेरा परिवार बना रहे। मंगलवार शाम चार बजे इन लोगों ने मेरे साथ मारपीट कर मुझे घर से निकाल दिया। इसके बाद मेरे परिजन चार-पांच लोगों को लेकर उनके घर गए तो मेरे पति सियाज खां ने भरी पंचायत में तीन बार तलाक बोलकर मुझे तलाक दे दिया।देश में महिलाओं की दशा और हालात पूरी तरह से कब तक सुधरेंगे और तीन तलाक के बाद देश में महिलाओं के साथ हो रहे बलात्कार और छेड़खानी,का अंत कब होगा ये कहना फिलहाल के लिए थोड़ा मुश्किल है  पर मौजूदा हालात देखते हुए ये बेशक कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट का तीन तलाक के विरुद्ध ऐतिहासिक फैसला मुस्लिम्स महिलाओं के साथ साथ पूरे देश की महिलाओं के लिए एक नए और स्वर्णिम युग का आरम्भ है।