जीएसटीएन

कैट छोटे खुदरा व्यापारियों के संगठन  सरकार से माल एवं सेवाकर जीएसटी के तहत विभिन्न वस्तुओं की दर पर पुनर्विचार करने की मांग की है। कैट का कहना है कि प्रस्तावित जीएसटी व्यवस्था में बहुत सी वस्तुओं को मौजूदा मूल्यवृद्धि कर वैट प्रणाली की तुलना में उंची दरों के दायरे में रखा गया है।

कैट ने एक बयान में सरकार से आग्रह किया है कि कर दरों पर उपजे विवाद को देखते हुए वह जीएसटी की कर दरों पर पुनर्विचार करे ताकि व्यापारियों की चिंताओं को दूर किया जा सके। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी की विभिन्न कर दरों में शामिल वस्तुओं के प्रभाव का अध्ययन करना बेहद जरूरी है क्योंकि जीएसटी में ना केवल सामान पर दिया हुआ कर बल्कि व्यापारिक उद्देश्य से ली गई सेवाओं पर दिए कर का भी पूरा इनपुट क्रेडिट मिलेगा।

दूसरे राज्य से खरीदे मान पर भी दिए हुए टैक्स का इनपुट क्रेडिट मिलेगा। वैट प्रणाली में यह लाभ नहीं मिलता है। इन लाभों को ध्यान में रखते हुए जीएसटी में कीमतों के प्रभावों पर अध्ययन किया जाना चाहिए। कैट ने कहा कि अभी तक कई वस्तुएं कम कर के दायरे में हैं जो जीएसटी में उच्च कर दर दायरे में आ जाएंगी।

इनमें वाहनों के कलपुर्जे विशेष तौर पर शामिल है। वाहनों के कलपुर्जे पर पांच प्रतिशत कर लगता है जो जीएसटी में बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दिया गया है। भवन निर्माण के अधिकांश सामान सीमेंट बिल्डर हार्डवेयर लोहा इत्यादि पर 18-28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा। लाल मिर्च जीरा हल्दी धनिया इत्यादि जहां कर मुक्त होने चाहिए उन पर पांच प्रतिशत कर रखा गया है। घी और मक्खन पर भी 12 प्रतिशत कर लगाया गया है।