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नई दिल्‍ली : गुरुवार को भारतीय नौसेना में डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी INS कलवरी को शामिल कर लिया गया, जिससे नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ गई है। यह पिछले 17 सालों में नौसेना में शामिल की गई इस तरह की पहली पनडुब्‍बी है, जिससे हिंद महासागर में भारत की ताकत बढ़ गई है। इसे समंदर में भारत का ‘शार्क’ कहा जा रहा है। इससे भारत की समुद्री सीमा में चीन और पाकिस्तान की घुसपैठ को करारा जवाब मिलेगा। इसमें ऐसी खूबियां हैं कि यह दुश्‍मनों के छक्‍के छुड़ा देगी। आइये, नजर डालते हैं इससे जुड़ी प्रमुख बातों पर।

ये हैं खूबियाँ 

  • INS कलवरी डीजल-इलेक्ट्रिक के दम पर चलने वाली पनडुब्‍बी है, जिसे समंदर में भारत का ‘शार्क’ कहा जा रहा है। समंदर में जैसे शार्क अपने शिकार को बिना किसी आहट के निशाना बना लेते हैं, उसी तरह यह पनडुब्बी बिना दुश्मन को खबर दिए उसे तबाह करने की ताकत रखती है।
  • INS कलवरी का निर्माण फ्रांस के सहयोग से ‘मेक इन इंडिया’ के तहत किया गया है। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने इसे भारतीय नौसेना के लिए बनाया है और इसे फ्रांसीसी रक्षा एवं ऊर्जा कंपनी DCNS ने डिजाइन किया है।
  • यह भारतीय नौसेना में शामिल की जाने वाली 6 स्कार्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों में से पहली पनडुब्बी है। इन छह पनडुब्बियों के निर्माण की लागत करीब 23,652 करोड़ रुपये है।
  • 1,564 टन वजनी INS कलवरी को भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के तहत बनाया गया है।
  • आधुनिक फीचर्स से लैस यह पनडुब्बी दुश्मन की नजरों से बचकर सटीक निशाना लगा सकती है। यह देश की अन्‍य पनडुब्बियों की तुलना में कम शोर करती है। यह टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले कर सकती है
  •  INS कलवरी की लंबाई 67.5 मीटर और ऊंचाई 12 मीटर से ज्यादा है। यह 20 समुद्री मील यानी करीब 37 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से समुद्र में गश्‍त लगा सकती है।
  •  MDL ने इसे इस साल सितंबर में ही भारतीय नौसेना को सौंप दिया था। इसे गुरुवार को राष्‍ट्र को समर्पित करने से पहले समुद्र में करीब 120 दिनों तक विभिन्‍न उपकरणों के साथ इसका परीक्षण और ट्रायल हुआ।
  • INS कलवरी में इंफ्रारेड और कम रोशनी में काम करने वाले कैमरे लगे हैं, जो समुद्र की सतह पर दुश्मन के जहाज को पकड़ने में माहिर है।
  • INS कलवरी की पानी के भीतर तेजी और हमला करने की क्षमता गजब की है। इसका ध्येय वाक्य ‘हमेशा आगे’ है, जिससे जाहिर होता है कि इसे किस सोच के साथ तैयार किया गया है।
  • इस समय भारतीय बेड़े में 13 पुरानी पनडुब्बियां हैं, जो 17 से 32 साल पुराने हैं। भारतीय नौसेना में पहली पनडुब्‍बी 1967 में शामिल की गई थी।