इस्तीफा

मानसून सत्र के दूसरे दिन सहारणपुर हिंसा मामले पर राज्यसभा स्पीकर की ओर से बसपा सुप्रीमो मायावती को नहीं बोलने दिया गया। इसी बात से नाराज मायावती ने ताव में आकर राज्यसभा से इस्तीफे की धमकी दे दीं थी। वहीं अब उन्होंने इस धमकी को हकीकत में बदल दिया है। उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

मायावती का इस्तीफा नहीं होगा मंजूर , कर गयी इतनी बड़ी गलती

हालांकि, अभी मायावती का इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है और तकनीकी रूप से माना जा रहा है कि सभापति ये इस्तीफा स्वीकार नहीं करेंगे। इस बीच आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मायावती को राज्यसभा भेजने का ऑफर दिया है।

लालू यादव ने कहा कि अगर मायावती सहमत होती हैं तो वो अपनी पार्टी के कोटे से उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाने के लिए तैयार हैं।

लालू ने कहा कि मायावती सदन में दलितों की आवाज को उठा रही थीं, लेकिन बीजेपी के सदस्यों ने उन्हें बोलने नहीं दिया। इस बात में कोई शक नहीं है कि मायावती देश की दलित नेता हैं और उन्हें सदन में दलितों की बात नहीं रखने दी गई।

राज्यसभा में नहीं बोलने दिया गया तो BSP सुप्रीमो मायावती ने दिया इस्तीफा

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती का राज्यसभा में कार्यकाल अप्रैल 2018 में खत्म हो रहा है। दरअसल, संसद की सदस्यता से इस्तीफा देने के लिए जो नियम हैं, मायावती ने उनका पालन नहीं किया। नियम ये है कि संसद के दोनों सदनों का कोई भी सदस्य जब अपनी सदस्यता से इस्तीफा देता है तो महज एक लाइन में लिखकर संबंद्ध चेयरमैन या स्पीकर को सौंपना होता है। जबकि मायावती ने जो इस्तीफा राज्यसभा चेयरमैन के ऑफिस जाकर सौंपा वो तीन पन्नों का है।

नियम के अनुसार इस्तीफे के साथ न ही कोई कारण बताया जाता है और न ही उस पर कोई सफाई दी जाती है। मतलब कोई भी संसद सदस्य इस्तीफा देते वक्त इस्तीफा देने का कारण त्यागपत्र में नहीं लिख सकता।