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काठमांडो : नेपाल ने चीन की महत्वाकांक्षी योजना वन बेल्ट वन रोड में शामिल होकर शुक्रवार को अपने पड़ोसी देश भारत को एक बार फिर से बड़ा झटका दिया है।
नेपाल ने बीजिंग में 14 और 15 मई को होने वाले वन बेल्ट वन रोड फोरम से पहले ही समझौते पर दस्तखत कर दिये हैं।

चीन 14 और 15 मई को अपनी महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रूट परियोजना की सफलता के लिए शिखर सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है। चीन ने इस सम्मेलन में 29 देशों के राष्ट्राध्यक्षों, 70 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों, दुनिया भर के 100 मंत्रिस्तरीय अधिकारियों, विभिन्न देशों के 1200 प्रतिनिधिमंडलों को आमंत्रित किया है।

चीन का कहना है कि इस परियोजना से इन सभी देशों में बहुत बड़ा निवेश होगा और इन देशों के बुनियादी ढांचा मजबूत होंगे। इससे इन देशों में रोजगार के अवसर बनेंगे और इन देशों की जनता के माली हालत में भी सुधर होगा। जबकि चीन इस परियोजना से खुद को होने वाले फायदे के बारे में बताने से बच रहा है।
नेपाल के उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री कृष्ण बहादुर महारा और विदेश मंत्री प्रकाश शरण महत की उपस्थिती में नेपाल के विदेश सचिव शंकर बैरागी और चीन के राजदूत यू हांग ने काठमांडो के सिंघदर बार में विदेश मंत्रालय में एमओयू पर हस्ताक्षर किये। भारत ने चीन की इस पहल का विरोध किया है। इसके तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के गुजरने का प्रस्ताव है।