दिल्ली सरकार ने स्कूलों में जारी भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए एक खूफिया यूनिट का निर्माण किया था। फीडबैक यूनिट नाम का ये ग्रुप सीधे मुख्ममंत्री अरविंद केजरीवाल के नीचे काम करता था। इस यूनिट का नाम फीडबैक यूनिट था। स्कूलों के भ्रष्टाचार के स्टिंग ऑपरेशन करने के लिए इस ग्रुप को पूरे 1 करोड़ रुपए की फंडिंग भी की गई थी। हालांकि ये स्पाई ग्रुप सिर्फ 50 हजार रुपए ही खर्च कर पाया।

अब इस केस की एक रिपोर्ट दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने सीबीआई को दी है। पिछले महीने सीबीआई ने इस मामले में एक केस भी दर्ज किया है।

इस फीडबैक यूनिट में शामिल कर्मचारियों को मेहनताना उपस्थिति के आधार पर दिया जाता था। इस यूनिट के स्टाफ की शत प्रतिशत हाजरी रही है। फरवरी 2016 से 40,82,982 रुपए इस विभाग के कर्मचारियों कै सैलरी, टेलिफोन और दूसरे खर्चों को पूरा करने के लिए जारी किए गए थे। लेकिन जिस विजिलेंस विभाग के अधीन इस यूनिट को बनाया गया था उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि इस यूनिट के कर्मचारी कहां बैठते थे और इन्होंने काम क्या किया।

कालका पब्लिक स्कूल में दाखिले को लेकर मांगे जाने वाली रिश्वत की शिकायत के आधार पर जांच के लिए करीब 50 हजार रुपए खर्च किए गए। ये पैसा एसीबी के क्लर्क कैलाश चंद के नाम पर जारी किया गया था। लेकिन जब रिकॉर्ड की जांच की गई तो पाया गया कि इस नाम को कोई कर्मचारी एसीबी में काम ही नही करता।

वहीं सूत्रों के अनुसार इस खूफिया विभाग में इंटेलिजेंस ब्यूरों के कुछ रिटायर्ड अधिकारी, इन्कम टैक्स और दूसरी जांच एंजेन्सियों के अधिकारी इस खूफिया यूनिट का हिस्सा थे। जिन्हें पैसे और वाहन की सहायता की गई थी। विजिलेंस विभाग की एक लेटर के अनुसार इस खूफिया विभाग को एक कार, दो एसयूवी और तीन मोटरसाइकिल दी गई थी। इसके अलावा चारा डाटा ऑपरेटर भी स्पोर्टिंग स्टाफ के तौर पर लगाए गए थे। सीबीआई अब इस केस की छानबीन कर रही है।