फौजी

सिविल सर्विस डे के मौके पर पीएम मोदी ने कई अफसरों को संबोधित किया। इस मौके पर कश्मीर को लेकर पीएम मोदी ने बड़ा बयान दिया, पीएम मोदी ने कहा कि हमारे फौजी कश्मीर में बाढ़ आने पर लोगों की जान बचाते हैं, लोग उनके लिए तालियां बजाते हैं। मगर बाद में हमारे फौजी पत्थर भी खाते हैं। मोदी ने कहा कि सभी को आत्मचिंतन करना चाहिए, इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं बरतनी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि 20 साल पहले और आज के हालात में काफी अंतर है। पीएम मोदी ने कहा कि अफसरों को अपनी शक्ति का एहसास होना चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 15-20 वर्षों में कार्यशैली का तरीका बदला है, अब हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है। पीएम मोदी ने कहा कि अब लोगों के पास कई तरह के विकल्प मौजूद हैं। हमारी चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हमें भी अपनी कार्यशैली को बदलना होगा। सरकार के रहते हुए लोगों को बोझ का एहसास नहीं होना चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि अफसरों को गृहणियों से काफी कुछ सीखने की जरुरत है, वह किस तरह परेशानियों के बावजूद सभी चीजों को मैनेज करती हैं। मोदी ने कहा कि गृहिणी परिवार को नई ऊंचाई पर ले जाती है, वही जिम्मेदारी आपकी भी है। पीएम मोदी ने कहा कि वरियता क्रम का बोझ अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है, हमें अपने अनुभव को बोझ नहीं बनने देना चाहिए।

प्रगति कार्यक्रम की वजह से कई मामलों को निपटाया जा सकते हैं, देश में एक ऐसा प्रधानमंत्री आया कि टेक्नॉलाजी का इस्तेमाल करता है, इससे मुझे खुशी नहीं मिलती है, प्रगति के काम के लिए मोदी की जयकार ठीक नहीं है। प्रगति के जरिये हमनें 15-20 सालों से अटकी पड़ी कई परियोजनाओं को एक दिन में बैठक कर उसे सुलझाया। सरकार के दो विभागों को कोर्ट में झगड़ा नहीं करना चाहिए।

मोदी ने कहा कि एक अफसर यदि फाइल में कुछ गलत लिख दे, तो मामला कोर्ट में चला जाता है और वर्षों तक मामला अटक रहता है। मोदी ने कहा कि इन छोटी वजहों से कई काम अटकते हैं। मैं हमेशा से ही ईमानदार अफसरों के साथ हूं।

मोदी ने कहा कि सरकार आती जाती रहेगी, मगर व्यवस्था वहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि हम बजट के साथ आउटकम डॉक्यूमेंट भी लाये, ये पहली बार हुआ है। आउटपुट सीएजी के लिए अच्छा, मगर आउटलुक सीएजी प्लस से भी अच्छा है। मोदी ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद ये पहली बार हुआ कि बजट 1 फरवरी को पेश हुआ और 1 अप्रैल तक उसकी सभी प्रक्रिया पूरी हो गई है।

मोदी ने कहा कि तीन साल में अनुभव किया है कि ऐसा कोई काम नहीं हुआ कि मैंने कुछ कहा हो और वह पूरा ना हुआ हो, हर काम को उसके नतीजे के साथ करें।

गंगा सफाई की बात हर कोई करता है, राजीव गांधी के जमाने से इसकी बात चल रही है। कई अफसर गंगा के किनारे पर रहते हैं, उन अफसरों को अपने गांवों में गंगा सफाई के लिए काम करना चाहिए। हमारे संकल्प का माइक्रो मैनेजमेंट करना काफी जरुरी।