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राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने योगी सरकार के 6 माह के कार्यकाल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि काफी इंतजार के बाद योगी सरकार की प्रथम कैबिनेट बैठक में लघु और सीमान्त किसानों का मार्च 2016 तक का फसली ऋण माफ करने की घोषणा का सच 5 महीने बाद सामने आया।

अहमद ने कहा कि, ‘इसमें किसानों को 9 पैसे, 84 पैसे लेकर 15, 28, 56, 150 और 280 रूपये आदि के हजारों प्रमाण पत्र बांटकर किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया गया है। जिसे किसानों के स्वाभिमान पर कुठाराघात की संज्ञा देना गलत न होगा।

इसी प्रकार 15 जून तक गड्ढामुक्त सड़कों की घोषणा भी खोखली साबित हुयी। दूर दराज क्षेत्रों में ना जाकर केवल राजधानी की सड़कों का सर्वे करके सच्चाई देखी जा सकती है। लखनऊ में चोरी की 43 गाड़ियों के साथ 4 वाहन चोर गिरफ्तार

डाॅ. अहमद ने कहा कि सरकार ने हिन्दूवादी विचारधारा के पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर बूचड़खानों पर प्रतिबंध की घोषणा की जिसके परिणामस्वरूप हजारों लोग भुमखरी के कगार पर पहुंच गये। परन्तु सच्चाई यह है कि आज भी सड़कों के किनारे खुड़ी हुयी अवैध दुकाने बीमारियां बांट रही हैं। हां प्रदेश में गौरक्षा के नाम पर हिंसक घटनाएं खूब हुयी जिससे समाज में असंतोष का वातावरण बना।

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के फलस्वरूप हजारों बच्चों की मृत्यु होना सरकार पर बदनुमा दाग है जिसे धोना सरकार के बस में नहीं है। बलात्कार के बाद महिला की हत्या, रेलवे ट्रैक के किनारे फेंकी लाश!

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार का यह कहना कि 6 माह में कोई दंगा नहीं हुआ स्वयं में हास्यापद है। क्योंकि रायबरेली के जातीय संघर्ष हुआ और इसी प्रकार दलितों और क्षत्रियों के बीच जातीय उन्माद भड़काया गया। मुजफ्फरनगर में भी दंगा भड़काया गया। परन्तु पश्चिम उत्तर प्रदेश की जनता ने सरकार के मंसूबों पर पानी फेरकर आपसी भाईचारा बनाये रखा।