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भिवानी: पीएनबी बैंक घोटाले में नीरव मोदी के हजारों करोड़ रुपए का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब भिवानी में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। भिवानी में पंजाब नेशनल बैंक में साढ़े 5 करोड़ का फर्जीवाड़ा हुआ है। चौंकाने वाली बात है कि 10 साल पहले जिस जमीन के कागजातों के नाम पर लोन लिया गया वो सब फर्जी निकले। बैंक में आए नए मैनेजर ने इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया। शहर थाना पुलिस ने बैंक मैनेजर की शिकायत पर एक महिला उसके बेटे अौर अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपी भाजपा के एक रसूखदार नेता का करीबी बताया जा रहा है। वहीं जांच कर रही पुलिस का कहना है कि जांच के बाद इस मामले में बैंक अधिकारियों की संलिप्तता भी उजागर हो सकती है।

स्कूल भवन बनाने के लिए अप्लाई किया था लोन
जानकारी के अनुसार घंटाघर स्थित पीएनबी बैंक से वर्ष 2009 से 2010 के बीच भूरी देवी शिक्षा समिति के नाम गांव तालु निवासी रिसाल देवी अौर उनके बेटे अशोक कुमार ने स्कूल भवन बनवाने के लिए लोन फाइल अपलाई की थी। बाद में बैंक कर्मियों से मिलभगत कर 6 फरवरी 2009 को 3 करोड़ 20 लाख रुपए का लोन बैंक से स्वीकृत करवाया गया। इस लोन के लिए बैंक में जमा करवाए गए 131 मरला/ 4 जमीन जो कि मुहम्मद नगर लोहारू में बताई गई।

फर्जी पावर अॉफ अटार्नी पर लिया लोन
आरोप है कि इस जमीन की बैंक के पास फर्जी पावर अॉफ अटार्नी जमा करवाई गई। इतनी मोटी रकम का लोन लेने के बाद 6 अप्रैल 2010 को फिर से 2 करोड़ रुपए का लोन पास करवा लिया गया। पुलिस अौर बैक अधिकारियों की जांच पड़ताल में पता चला कि बैंक से लोन लेने के बाद 3-4 किश्त ही जमा करवाई गई। लोन जारी करवाने वाले मैनेजर का तबादला होकर अब नए मैनेजर आए तो यह मामले सामने आया।

बैंक अधिकारी भी रहे मेहरबान
बैंक अधिकारी इस समिति अौर उसके सदस्यों पर पूरी तरह से मेहरबान रहे। घंटाघर पीएनबी बैंक शाखा अधिकारियों ने उसी जमीन पर स्कूली बच्चों के लिए हॉस्टल बनाए जाने के लिए 6 अप्रैल 2009 को फिर से दो करोड़ रुपए का लोन जारी कर दिया। शिक्षा समिति ने बिल्डिंग निर्माण कार्य बीच में ही रुका होने की बात कहकर उन्हीं जमीनों पर एक अक्तूबर 2010 को फिर से 30 लाख रुपए लोन के लिए आवेदन किया। बैंक अधिकारियों ने इस बार भी लोन दे दिया।

नए मैनेजर ने किया फर्जीवाड़े का खुलासा
बैंक में आए नए मैनेजर सुरेंद्र कुमार गुप्ता ने एक करोड़ रुपए से अधिक की पुरानी लोन फाइलों को खंगाला। जिसके बाद उन्हें केवल जमीन का पॉवर अॉफ अटार्नी पर साढ़े 5 करोड़ का लोन देने पर संदेह हुआ। उन्होंने लोन लेने वाली शिक्षा समिति के जमीन के कागजात जांच के लिए तहसीलदार के पास भेजे गए। वहीं सामने आया कि ये जमीन किसी शिक्षा समिति या सदस्य के नाम ही नहीं है अौर कागजात फर्जी हैं।