सोशल मीडिया में इनदिनों एक वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है ,जिसमें कुछ मुसलमान आदमी और औरतें बड़े ही भक्तिभाव से कृष्ण और राम के भजन गाते हुए नज़र आ रहें हैं। उनके हिज़ाब उनके पहनावे को नज़रअंदाज करते हुए अगर आप वीडियो देखेंगे तो आप खुद उनके धर्म और मजहब का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि वो हिंदू नहीं हैं।

पर इस वीडियो ने देश में एक नयी बहस छेड़ दी है। कुछ लोगों का कहना है कि ये भजन एक मस्जिद में गाये गए हैं तो किसी ने इस पूरी वीडियो को ही फेक बता दिया है। हमारे देश में ही कुछ मुसलमान इस बात की आलोचना कर रहें हैं तो हिन्दू इस बात पर गर्व कर रहें हैं कि कुछ मुसलमानों ने राम के भजन गाये हैं।

हमारा देश भी विचित्र है ,यहाँ अगर कोई कुत्ता इंसान को काट ले तो कोई बात नहीं पर अगर कोई इंसान कुत्ते को काट ले तो ये खबर हर न्यूज़ चैनल में मिर्च -मसाला लगाकर बार -बार चलायी जाती है। इस मामले में आजकल सोशल मीडिया भी दस कदम आगे है। सोशल मीडिया के कुछ फेसबूकिया लोग धर्म और देश का वास्ता देकर इस बात को तुरंत पोस्ट करके लाइक और शेयर की डिमांड कर देते हैं। उसके बाद जिसने शेयर कर दिया वो भगत सिंह और जिसने भी गलती से नहीं किया वो इस देश में जनरल डायर से कम नहीं समझा जाता है।

ठीक उसी तरह इस वीडियो के साथ भी हो रहा है ,अगर कोई हिन्दू राम भजन गाये तो गाये कुछ ख़ास नहीं है इसमें। पर इस बार मुसलमानों ने अल्लाह नहीं राम के भजन गा दिए तो हंगामा बरपा दिया लोगों ने। जैसे ही ये खबर सोशल मीडिया में वायरल हुई कि कुछ मुसलमानों ने मस्जिद के भीतर राम और हरी के भजन गायें हैं तो कुछ मुस्लिम पंथियों ने उन मुसलमानों को इस्लाम का विरोधी बता दिया और वो भी बिना सच जानें।

पर जब इस वीडियो की जांच पड़ताल की गयी तब जो सामने आया है वो मंजर कुछ और ही कहानी बयां कर रहा था। असल में वीडियो आज से 5 साल पुराना साल 2012 का है और ये जो भजन गाये गए हैं वो किसी मस्जिद में नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश के पुत्तपार्थी में सत्य साईं भगवान के आश्रम में गाये गए हैं।

सत्य साईं के प्रशांति निलयम में एक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जहां पर अरब देशों जैसे -क़तर ईरान, सीरिया, तेहरान और सऊदी अरब अमीरात से आये मुसलमान भाई-बहनों ने ही हरी -राम के भजन गाये थे।

इस वीडियो में ये बात अलग ज़रूर है कि मुसलमान ने राम के भजन गाये पर इस बात में कुछ गलत नहीं कि मुसलमान ने राम भजन गाये। अल्लाह और राम को धर्म और मजहब की बेड़ियोँ में नहीं बांधा जा सकता है ये बात इस वीडियो के ज़रिये उन करोड़ों लोगों तक जा रही है जो आज भी शायद आज़ाद नहीं हो पाए हैं।