महेश शर्मा

भारत-बांग्लादेश सीमा पर गाय संरक्षण और पशुओं की तस्करी को लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी है। केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। समिति ने इस मसले पर कुछ सिफारिशें भी की हैं। इन सिफारिशों में गाय के लिए अद्वितीय पहचान संख्या (UID) की भी मांग की गई है।

1.) हर जिले में कम से कम 500 जानवरों के लिए शेल्टर होम होना चाहिए। इससे परित्यक्त पशुओं की तस्करी को कम करने में मदद मिलेगी।

2.) दुग्ध देने की उम्र तक पशुओं की विशेष देखभाल की जानी चाहिए।

3.) संकट में किसानों के लिए योजना शुरू की जानी चाहिए, ताकि वे दुग्ध की उम्र से पहले पशुओं को न बेच सकें।

4.) शेल्टर होम का वित्तपोषण राज्य सरकार द्वारा किया जाना चाहिए। मौजूदा आश्रय घरों में सुविधा और मानव संसाधनों की कमी है।

5.) भारत में प्रत्येक गाय और उसकी संतान की एक अद्वितीय पहचान संख्या (UID) होनी चाहिए ताकि उनको ट्रैक किया जा सके।

6.) परित्यक्त पशुओं की सुरक्षा और देखभाल की जिम्मेदारी मुख्य रूप से राज्य सरकार की है।

7.) गाय और उसकी संतान के लिए यूआईडी देशभर में अनिवार्य होनी चाहिए।

8.) बांग्लादेश में पशुओं की तस्करी को रोकने के लिए जनता से सक्रिय समर्थन और सहयोग की मांग की जानी चाहिए। लोगों को टोल फ्री हेल्पलाइन नंबरों के माध्यम से सड़कों पर पशुओं की गतिविधियों से संबंधित जानकारी देने के लिए कहा जाना चाहिए।

9.) यूआईडी नंबर में उम्र, नस्ल, लिंग, स्तनपान, ऊंचाई, शरीर, रंग, सींग प्रकार, पूंछ स्विच और जानवरों के विशेष अंकों का विवरण होना चाहिए।

भारतीय गायों की मिलती है मुंह मांगी कीमत

गोमांस की सबसे बड़ी मांग वाला देश बांग्लादेश है। बांग्लादेश में भारतीय गायों की मुंह मांगी कीमत मिलती है। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी बीएसएफ के अनुसार भारत से हर साल करीब साढ़े तीन लाख गायों को चोरी छिपे बांग्लादेश सीमा पार करवाकर बेचा जाता है। तस्करी का सालाना कारोबार 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का है। गृहमंत्रालय के अनुसार साल 2014 और 2015 के दौरान बीएसएफ ने 34 गाय तस्करों को मुठभेड़ में मार गिराया, बांग्लादेश के बॉर्डर एरिया से तस्करी करने के लिए ले जाईं जा रहीं 200 से 250 गायों को बीएसएफ रोजाना बरामद करती है। असम गाय तस्करी का हॉट स्पॉट है। यहां से बांग्लादेश की करीब 263 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। यही बॉर्डर असम से गायों को बांग्लादेश पहुंचाने का रूट बनता है।