12 अगस्त

‘12 अगस्त यानि की आज रात नहीं होगी’ इस दावे ने सोशल मीडिया पर हडकंप मचा रखा है। दावा है कि 12 अगस्त को 24 घंटे उजाला रहेगा यानि उस दिन रात में भी दिन जैसा उजाला नजर आएगा और अंधेरा नहीं होगा। इसके साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि 96 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है।

सोशल मीडिया पर किए जा रहे इस दावे की सच्चाई क्या है?
सोशल मीडिया पर अखबारों का एक टुकड़ा वायरल हो रहा। इन अखबारों में बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है कि ”96 साल में पहली बार 12 अगस्त को नहीं होगी रात।” वहीं एक अन्य अखबार जो वाराणसी, गोरखपुर,इलाहाबाद और कानपुर जैसे शहरों में प्रकाशित होता है, उसमें भी यही हेडिंग दी गई है।

इतना ही नहीं एक दावे में यह भी कहा जा रहा है कि ‘’दुनिया की सबसे बड़ी वैज्ञानिक संस्थान नासा ने कहा है कि ऐसा चमत्कार दुनिया में पहली बार होगा।’’ एक दावे में लोगों को डराया भी जा रहा है कि ‘’इसे नहीं देखेने वाले लोगों को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।’’

अंतरिक्ष वैज्ञानिक सी बी देवगन ने बताई कई अहम बातें-
अंतरिक्ष वैज्ञानिक सी बी देवगन ने एक न्यूज पोर्टल को बताया कि,‘’12 तारीख को मेट्योर शॉवर होना है, जिसे हम उल्कापिंड कहते हैं, जिसे टूटता तारा भी कहा जाता है। जिसे देखकर हम मुराद मांगते हैं। नासा टीवी ने ये जानकारी दी है कि ये 12 तारीख को इतने से इतने बजे के बीच मेट्योर शॉवर होगा।’’

वैज्ञानिक ने बताया,‘‘12 अगस्त खास जरूर है क्योंकि उस दिन मेट्योर शॉवर यानि उल्का वर्षा होने वाली है, मगर उल्कावर्षा या मेट्योर शॉवर क्या है, ये समझने के लिए आपको टूटते तारे के बारे में जानना जरूरी है।’’

क्या होता है उल्कावर्षा या मेट्योर शॉवर-
सी बी देवगन ने बताया, ‘‘पहले जब हमें नहीं मालूम था कि तारा टूटना क्या होता है, तो ये मानते थे कि तारा टूट गया है, मगर असल में ये अंतरिक्ष में छोटे-छोटे रेत के दाने जैसे होते हैं। जब वो हमारे वातावरण में घुसते हैं, तो फ्रिकशन की वजह से गर्म हो जाते हैं और हमें जलते हुए नजर आते हैं। उन्हें हम टूटता हुआ तारा कहते हैं, वो सिर्फ एक जलता हुआ कण होता है, मगर जब एक साथ एक दिशा से कई सारे जलते हुए कण जमीन पर गिरते हैं, तो उसे उल्कावर्षा या मेट्योर शॉवर कहा जाता है।”

झूठे हैं सभी दावे-
उल्कापात भारत से काफी दूरी पर होने की वजह से नजर नहीं आएगा। इसलिए भारत में रात में भी दिन जैसे उजाले की बात झूठी है। मेट्योर शॉवर लगभग हर महीने होता है, मगर कुछ ही बार अच्छे से दिखता है, इसलिए यह 96 साल में पहली बार हो रहा है, ये बात बिल्कुल गलत है। मेट्योर शॉवर कई घंटो तक होता है, मगर सिर्फ 1-2 घंटे जब सबसे चमकीले कण गिरते हैं, तभी साफ दिखता है और रोशनी भी पैदा करता है इसलिए 24 घंटे दिन की तरह उजाला होने की बात झूठी है। नासा ने सिर्फ ये बताया है कि 12 अगस्त को मेट्योर शॉवर होगा और इतने बजे होगा। नासा ने कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया है कि ये चमत्कार दुनिया में पहली बार होगा क्योंकि हर साल अगस्त में मेट्योर शॉवर होता है। भारत में मेट्योर शॉवर दिखेगा ही नहीं इसलिए नहीं देखने वालों का नुकसान होने की बात भी झूठी है।