भारत में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार साँपों को विशिष्ट स्थान प्राप्त है। भारतीय कथाओं के अनुसार साँप एक ऐसा जीव है जिसे भगवान् शिव ने अपने गले में धारण किया है और भगवान् विष्णु तो खुद शेषनाग की शैय्या पर विराजते हैं। समुद्र मंथन में भी शेषनाग ने ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा भी कई कथाओं में साँपों का उल्लेख मिलता है जैसे बंगाल की मंशा देवी को भी सांप अधिक प्रिय थे और उन्हें साँपों की देवी के रूप में भी लोग पूजते हैं।

भारत में नागपंचमी के दिन साँपों का एक अलग महत्व होता है ,प्राचीन काल से ही नागपंचमी के दिन साँपों की पूजा और उन्हें दूध पिलाने की प्रथा चली आ रही है पर क्या आप जानते हैं कि साँपों को दूध पिलाना पुण्य नहीं बल्कि पाप का काम है? अगर आप अभी तक ऐसा सोच रहे थे कि नागपंचमी के दिन आप साँपों को दूध पिलाकर पुण्य का काम कर रहे हैं तो आप भ्र्म में हैं क्योँकि साँपों को दूध पिलाकर आप खुद उनकी मौत के कारक बन रहे हैं। कैसे ? हम बताते हैं आपको .

nagpanchmi

साँप सरीसृप प्रजाति का जीव है जिसके शरीर पर बाल और पंख नहीं पाये जाते हैं इनके शरीर पर शल्क पाये जाते हैं। ऐसे जीव अपने शरीर से नमी को बाहर नहीं निकलने देतें हैं। ऐसे जीव असमतापी त्वचा और शीत रुधिर वाले जीव होते हैं। ऐसे जीव अपने शरीर की ऊष्मा को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं और स्थान के अनुसार अपना ताप बदलते रहते हैं।

सरीसृप प्रजाति के जीव खासकर साँपों को अधिक पानी की आवश्कयता नहीं होती है इसलिए साँप अपने शरीर में पानी की पूर्ति अपने शिकार के शरीर की नमी से ही करते हैं। साँप  प्राकृतिक रूप से दूध भी नहीं पीते हैं। क्योंकि दूध पीना स्तनधारियों का लक्षण हैं ना कि सरीसृप जीवों का। 

ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि नागपंचमी के दिन जो सपेरे साँप लेकर घूमते हैं वो दूध कैसे पीते हैं? पर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि  जो सपेरे साँप लेकर घूमते हैं वो उन्हें 15-20 दिनों से भूखा रखते हैं जिसकी वजह से जब सांप के सामने दूध आता है तो भूख से व्याकुल साँपों को विवशता में उस दूध को ही पीना पड़ता है। साँपों का शरीर दूध को हज़म नहीं कर पाता है जिसकी वजह से दूध उनके फेफड़ों में चला जाता है और उनके फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है।

जिसकी वजह से बहुत जल्द ही साँपों की मौत हो जाती है।इसलिए अगर आप अब तक यही सोचकर साँपों को दूध पिला रहे थे कि साँपों को दूध अधिक प्रिय होता है और इससे आपको पुण्य मिलता है तो आज इसी नागपंचमी से ही इस मिथक को त्याग दीजिये क्योंकि साँपों के लिए दूध अमृत नहीं बल्कि विष के समान है और उन्हें दूध पिलाकर आप खुद उनके विनाश के कारक बनते हैं। अगर आप साँपों के लिए कुछ करना चाहतें हैं तो जो सपेरे गैरकानूनी तरह से साँपों को पकड़ते हैं उनके खिलाफ कदम उठाइये। अपने इस कार्य से आप एक अच्छे इंसान तो बनेंगे ही साथ ही आप को इस नागपंचमी में सच में पुण्य मिलेगा।