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लखनऊ,  चारा घोटाले के आरोप में रांची की जेल में बद लालू प्रसाद यादव के पक्ष में पैरवी करने के मामले में जालौन के डीएम डॉ.मन्नान अख्तर के साथ एसडीएम भी अब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रडार पर हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में जालौन के डीएम डॉ. मन्नान अख्तर व एसडीएम के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं

योगी आदित्यनाथ की कर्मस्थली गोरखपुर के मुख्य विकास अधिकारी रहे 2011 बैच के आइएएस अधिकारी डॉ.मन्नान अख्तर अब उनके ही निशाने पर हैं। डॉ. मन्नान अख्तर के खिलाफ लालू प्रसाद यादव को सजा सुनाने वाले सीबीआई के विशेष जज शिवपाल सिंह पर दवाब बनाने का मामला सामने आया है।

इस मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार अपराधी की पैरवी करने पर बिफरी हुई है। शासन ने आला अधिकारियों को दोपहर तक तलब किया है। दिल्ली से भी आला कमान ने चीफ सेक्रेटरी से भी उनकी रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद से शासन में हड़कंप मचा हुआ है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में जालौन के डीएम डॉ. मन्नान अख्तर व एसडीएम के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। सीएम के इस आदेश के बाद झांसी के कमिश्नर अमित गुप्ता ने डीएम डॉ मन्नान अख्तर और एसडीएम भैरपाल सिंह के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।

आरोप है जालौन जिलाधिकारी डॉ. मन्नान अख्तर ने जज से चारा घोटाले के मामले में लालू प्रसाद यादव को राहत देने के लिए प्रदेश के जालौन के निवासी जज शिवपाल सिंह से फोन पर सिफारिश की थी, जिसे जज ने अनसुना कर दिया। मन्नान अख्तर जालौन से लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए दबाव बना रहे थे। जज ने लालू प्रसाद यादव को सजा सुनाने के दौरान सिफारिशी फोन आने का जिक्र भी किया था, लेकिन उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया था।

 

इस मामले में जालौन डीएम डॉ. मन्नान अख्तर ने सफाई देते हुए कहा कि मैंने किसी को फोन नहीं किया और ना ही इस प्रकरण में कोई बात की। डीएम ने कहा बिहार से उनका कोई कनेक्शन भी नहीं है, वह मूल रूप से असम के रहने वाले हैं।

उन्होंने कहा कि मैंने कभी भी फोन पर उनसे बात नहीं की। अगर ऐसा हुआ है तो उन्‍हें जरूर एक बयान जारी करना चाहिए। रिपोर्टों में जिस तारीख का जिक्र किया गया है, मैं उस वक्‍त अपने गृह नगर में था, छुट्टी पर। इससे पहले मन्नान अख्तर ने यह बात कही थी कि उन्होंने न तो किसी की सिफारिश की है और न ही उनके मामले में कानून पढ़कर आएं जैसी बात कही है।

वहीं जालौन के एसडीएम भैरपाल सिंह ने भी अपनी सफाई दी है। उन्‍होंने कहा कि न तो लालू प्रसाद के मामले में मैंने कोई फोन किया और न ही ऐसी कोई टिप्पणी ही की है। मैं किसी भी सीनियर अफसर या न्यायिक अधिकारी से इस तरह की बात कर ही नहीं सकता हूं। इन बातों में कोई सच्चाई नहीं है। जज साहब, ऐसा क्यों कह रहे हैं, मैं नहीं जानता हूं।