अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पीड़ित परिवारों से मिलने गोरखपुर पहुंचे। अखिलेश यादव ने यूपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कम से कम सरकार यह तो बताए कि बच्चों की मौत का कारण क्या है। यदि ऑक्सीजन नहीं थी, तो सप्लाई की ज़िम्मेदारी किसकी बनती है? किसके ख़िलाफ़ कार्रवाई हो, सरकार हर बात को छिपा रही है, मगर सच सामने आना चाहिए। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि पीड़ितों का कहना है कि उन्हें कोई इलाज नहीं मिला और अस्पताल में ही मासूम बच्चों की जान चली गई है।

अखिलेश यादव ने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के बयान की निंदा करते हुए कहा कि सिद्धार्थ नाथ पढ़े-लिखे मंत्री दिखते हैं। यदि यही गलती समाजवादियों से हो गई होती, तो बवाल खड़ा हो जाता। मंत्रीजी कहते हैं कि अगस्त में तो जान जाती ही हैं, मरना तो सभी को है, तो क्या हम आज ही मर जाएंगे। अखिलेश ने कहा कि आंकड़े देकर कोई नहीं बच सकता, जिम्मेदारी और जवाबदेही तय होनी चाहिए।

यहां के BRD अस्पताल में एक हफ्ते में 70 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी थी, जिसके बाद सत्ताधारी योगी सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है। हालांकि सवाल यह भी उठाए जा रहे हैं कि 5 साल तक सूबे की सत्ता संभालने वाले अखिलेश को 5 दिन बाद गोरखपुर क्यों याद आया क्योंकि उनकी सरकार रहते हुए भी राज्य की स्वास्थ्य सुविधा में कोई बड़ा सुधार नहीं हो सका था।

अखिलेश यादव ने यहां के गांवों का दौरा कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। गोरखुपर में बच्चों की मौत के बाद अखिलेश लगातार सत्ताधारी बीजेपी सरकार पर हमला कर रही है। उन्होंने राज्य सरकार पर मामले की सच्चाई छिपाने का आरोप लगाते हुए पीड़ितों को 20-20 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की थी।

गोरखपुर समेत पूर्वांचल में दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) एक बड़ी समस्या है। इसी को ध्यान में रखते हुए यूपीए सरकार ने 2011 में ही यहां एम्स को मंजूरी दे दी गई थी। इसके बावजूद 2014 में सत्ताधारी अखिलेश सरकार पर गोरखपुर में एम्स के निर्माण के लिए जमीन न देने का आरोप लगा है। यहां से सांसद योगी आदित्यनाथ ने उस वक्त अखिलेश सरकार पर एम्स का निर्माण न होने देने का आरोप लगाया था। हालांकि यूपी में बीजेपी सरकार के गठन के बाद जुलाई 2017 में पीएम मोदी की मौजूदगी में एम्स का शिलान्यास किया गया है, जो 2019 तक बनकर तैयार होगा।

गोरखपुर सीएम योगी का राजनीतिक गढ़ रहा है। वह यहां से 5 बार सांसद रह चुके हैं। ऐसे में दिमागी बुखार के खिलाफ वह सांसद होने के नाते भी लगातार संसद में आवाज उठाते आए हैं। मगर इससे पहले की सपा और बीएसपी की सरकारों ने इस बीमारी से लड़ने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए थे। अब हादसे होने का बाद पिछली सरकारों के मुखिया सीएम योगी पर निशाना साधने में लगे हुए हैं।