GST

नई दिल्ली, सरकार को संदेह है कि छोटे कारोबारियों की सुविधा के लिए लाई गई कंपोजिशन स्कीम का दुरुपयोग करके हर तिमाही औसतन 2 लाख रुपये का कम टर्नओवर दिखाया जा रहा है। जुलाई-सितंबर तिमाही में करीब 10 लाख एंटिटीज ने जीएसटी के लिए कंपोजिशन स्कीम का चयन किया। इसके तहत सिर्फ टर्नओवर के डीटेल्स बताने होते हैं और सामान्य दर से टैक्स भरना होता है। इनमें करीब 6 लाख एंटिटीज ने 25 दिसंबर तक रिटर्न्स फाइल किए। लेकिन, इन एंटिटीज से एक तिमाही में प्राप्त कुल राशि 251 रुपये तक पहुंच गई। इस आधार पर इनका सालाना टर्नओवर 8 लाख रुपये का होता है।

इस आंकड़े से सरकारी तंत्र हैरान है क्योंकि जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के लिए सालाना 20 लाख रुपये के टर्नओवर की दरकार होती है। एक तरफ जीएसटी रजिस्ट्रेशन भी परवान चढ़ रहा है तो दूसरी ओर 15 लाख एंटिटीज ने खुद को कंपोजिशन स्कीम का भी हकदार बता दिया। अब अधिकारियों को आशंका सता रही है कि कई स्तर पर दी जा रही राहतों के कारण सिस्टम से टैक्स रेवेन्यू को बट्टा लग रहा है।

पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, ‘हम मौजूदा 1 करोड़ की ऊपरी सीमा को बढ़ाने की सोच रहे थे। लेकिन अब हम यह विचार कर रहे हैं कि औसतन 8 लाख रुपये के सालाना डेक्लरेशन के मद्देनजर इसकी जरूरत क्या है।’ नवंबर महीने में जीएसटी काउंसिल ने कंपोजिशन स्कीम का कैप बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा था।

इन चौंकानेवाले आंकड़ों से वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को इस स्कीम की आड़ में इनकम टैक्स के तहत अनुमानित टैक्स पेमेंट में गड़बड़ी की भी आशंका सता रही है और वे इसकी जांच करने की जरूरत महसूस करने लगे हैं। दरअसल, संबंधित स्कीम की तहत सालाना आय की सीमा दोगुनी कर 2 करोड़ रुपये कर दी गई है। आंकड़ों के मुताबिक, औसत सालाना आया 18 लाख रुपये होती है जो अधिकारियों के मुताबिक यह असली आमदनी से कम है।