कोरिया

भारत के वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा अपने अमेरिकी समकक्ष स्टीवन म्नुचिन के समक्ष H1B वीजा पर प्रतिबंधों का मामला उठाए जाने के बाद अमेरिका ने कहा है कि वह भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश की कद्र करता है और दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक संबंध चाहता है।

ट्रंप प्रशासन द्वारा की जा रही H1B VISA की समीक्षा अैर भारतीय आईटी कंपनियों पर इसके प्रभाव से जुड़े प्रश्नों के उत्तर में टोनर ने यह बात कही। विदेश मंत्रालय के कार्यवाहक प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा कि हम चाहते हैं कि भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंध मजबूत बने रहें। आपको बता दें कि भारतीय कंपनियां इस वीजा पर काफी निर्भर हैं।

टोनर कहा कि,’वीजा को लेकर किसी नई आवश्यकता के संबंध में मुझे यह जांच करनी होगी और देखना होगा कि क्या उनको अद्यतन किया गया है। हम अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारतीय कंपनियों द्वारा किए जा रहे निवेश की बहुत कद्र करते हैं जो निसंदेह हजारों अमेरिकी नौकरियों के लिए मददगार है।’

उन्होंने आगे कहा कि,’मौजूदा सरकार में अमेरिका वीजा साक्षात्कार और दाखिला प्रक्रिया जैसी प्रक्रियाओं के मजबूत करने के तरीके खोज रहा है। ये प्रक्रियाएं इस प्रशासन की शुरुआत से जारी हैं। यह प्रक्रिया आव्रजन और शरणार्थियों के आने के संबंध में भी हैं। ये प्रक्रियां जारी हैं।

वीजा समीक्षा प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर टोनर ने कहा कि यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यह हमारे वाणिज्यदूतावास ब्यूरो, विदेशों में हमारे वाणिज्यदूतावास अधिकारियों, विदेशों में स्थित हमारे दूतावासों और मिशन की कार्यप्रणाली का हमेशा हिस्सा रहा है। हम इन वीजा को जारी करने की प्रक्रियाओं की समीक्षा कर रहे हैं और उन्हें मजबूत करने के तरीके खोज रहे हैं। क्योंकि हम अमेरिकी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं।

आपको बता दें कि जेटली ने अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान रविवार को म्नुचिन के समक्ष एच1बी वीजा का मामला उठाया था और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारतीय कंपनियों और पेशेवरों के योगदान को रेखांकित किया था। दरअसल भारत को आशंका है कि इस प्रतिबंधों से भारतीय आईटी पेशेवरों के अमेरिका में जाने पर असर पड़ सकता है।

ट्रंप प्रशासन की दलील है किH1B VISA के दुरुपयोग को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आईटी कंपनियों को तगड़ा झटका दे दिया था। अब अमेरिका में कंपनियों के लिए अमेरिका के नागरिकों को नौकरियां देने में प्राथमिकता देनी पड़ेगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है जिससे H1B VISA के दुरुपयोग को रोका जा सके। अब ट्रम्प के इस फैसले से उनके सबसे ज्यादा भारतीय आईटी कारोबारी प्रभावित होंगे। अब अमेरिका में नौकरी करना मुश्किल हो जाएगा। ट्रम्प ने अब ‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ नारा जारी कर दिया था।