A child of Indian migrant labourers interacts with a teacher at a 'Tent School' run by a non-governmental organisation (NGO) 'Concern for Working Children (CWC)' in Bangalore on September 7, 2011 on the eve of 'International Literacy Day'. The provisional 2011 census figures show that the southwestern Indian state of Karnataka?s literacy rate has improved from 66 per cent to 75.60, with more girls than boys enrolling in educational schemes in the past decade. AFP PHOTO/ Manjunath Kiran (Photo credit should read Manjunath Kiran/AFP/Getty Images)

नई दिल्ली : 17 नवंबर 1965 को वैज्ञानिक और सामाजिक संगठनों के नेतृत्व में (यूनेस्को) ने हर साल 8 सितम्बर को इंटरनेशनल लिट्रेसी डे अर्थात अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने की घोषणा की थी। जिसके बाद से ही पूरी दुनिया में शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए हर साल 8 सितम्बर को विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है।ये बात सच है कि पिछले काफी समय से दुनिया भर में शिक्षा के स्तर में काफी बदलाव आया है और आज अधिकाँश लोग शिक्षित हैं। परन्तु इस बात को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है कि आज़ादी के 70 सालों बाद भी भारत आज भी पूर्ण साक्षारता प्राप्त करने में कोसो दूर है।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 127 देशों में 101 देश ऐसे हैं, जो पूर्ण साक्षरता हासिल करने से दूर है, जिनमें भारत भी शामिल हैं। ये आंकड़े दुखद ही नहीं अपितु शर्मनाक भी हैं।आपको जानकार हैरानी होगी की पूरी दुनिया में लगभग 75 करोड़ लोग अशिक्षित हैं जिनमे से 7 करोड़ लोग सिर्फ भारत से ही हैं। भारत में केरल सबसे अधिक साक्षारता वाला राज्य और वहीं बिहार सबसे कम साक्षारता वाला राज्य है।

शिक्षा पर वैश्विक निगरानी रिपोर्ट के अनुसार ये ध्यान देने योग्य है कि हर 5 में से 1 पुरुष और दो-तिहाई महिलाएं अनपढ़ हैं। दुनिया में सबसे कम साक्षरता दर 58.6% दक्षिण और पश्चिम एशिया में है। इसके बाद अफ्रीका का नंबर है, जहां ये दर है।आपको बता दें कि व्यक्ति के विकास और जीवनशैली में सुधार लाने के उद्देश्य से साक्षारता दिवस मनाया जाता है। ताकि अधिक से अधिक लोग शिक्षा के महत्व को समझे और अपने जीवन में तरक्की हासिल करें। किसी भी देश के लिए शिक्षा ही उसका मूल अधिकार और सबसे बड़ा हथियार है। क्योंकि जिस राष्ट्र के लोग जितने ज़्यादा शिक्षित होंगे वो राष्ट्र खुदबखुद शक्तिशाली बनने के लिए अग्रसर होगा।

भारत से गरीबी ,अपराध और जनसँख्या वृद्धि को खत्म करना अथवा रोकना सिर्फ तभी संभव है जब देश में अधिक से अधिक लोग शिक्षित होंगे। प्रतिवर्ष साक्षारता दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकी लोग शिक्षा की अनिवार्यता को समझे और शिक्षित होने के लिए उत्सुक हों। जब लोग शिक्षा के महत्व को समझेंगे तो भारत भी दुनिया के टॉप 10 साक्षारता वाले राष्ट्रों की सूची में अपना नाम दाखिल करवा पायेगा।

पर साक्षरता का अर्थ केवल किताबी शिक्षा हासिल करना ही नहीं है बल्कि लोगों को उनके अधिकारों के बारे में अवगत करने और अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक कराने का एकमात्र साधन है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में चार अरब लोग साक्षर हैं और आज भी 1 अरब लोग पढ़- लिख नहीं सकते। पर विश्व साक्षारता मिशन को देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि बहुत जल्द दुनियाभर के साथ साथ भारत में भी साक्षारता का प्रतिशत बढ़ जाएगा।

दुनिया के 10 सबसे अधिक साक्षारता प्राप्त देश

1. रूस

2. कनाडा3.जापान 4.इसराइल5.अमेरिका6.साउथ कोरिआ7.यूनाइटेड किंगडम8.न्यूज़ीलैंड9.फ़िनलैंड10.ऑस्ट्रेलिआ