Janmashtami, Lord Shri Krishna, Horoscope Of Lord Krishna

कृष्ण हिंदू देवी देवताओं में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं. आज भी कृष्ण भक्तों की तादाद दुनिया में सबसे ज्यादा है. जिस धूमधाम से कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है, वैसा उत्सव किसी भी दूसरे देवता के जन्म को लेकर नहीं होता. मुझे हमेशा से ये लगता रहा कि कृष्ण एक ऐसा चरित्र है जिसमें अपार संभावनाएं हैं. भारतीय समाज में नायक होने के जितने भी जरुरी गुण होने चाहिए वे सभी कृष्ण के पास हैं. उन्हें १६ कलाओं में निपुण माना जाता है जबकि राम को सिर्फ १२ कलाओं में. वैसे हो तो यह भी सकता है कि चूूंकि राम सूर्यवंशी थे इसलिए सूर्य की १२ कलाओं से उनको जोड़कर देखा जाता हो और कृष्ण चंद्रवंशी थे इसलिए चंद्रमा की सोलह कलाओं से उनका संबंध माना जाता हो . ठीक से समझें तो ये कलाएं दरअसल शास्त्र हैं. खैर, मैं कई मोर्चों पर कृष्ण में विलक्षण प्रतिभावाला नायक देखता हूं. यह ठीक है कि उन्होंने पांच महापाप किए जिसे आप बर्बरीक वध, भीष्म वध, द्रोण वध, कर्ण वध औऱ दुर्योधन वध कहते हैं, लेकिन वेदव्यास ने इन हत्याओं को सत्य के लिये आवश्यक बताकर कृष्ण की रणनीति को सही ठहराया है .
कृष्ण में इतना साहस है कि वो विदर्भ जाकर रुक्मिणी को भगा लेते हैं और वो भी शिशुपाल- जरासंध की सेना को पानी

Rana Yashwant
राणा यशवंत, मैनेजिंग एडिटर, इंडिया न्यूज़

पिलाकर. प्रेम के लिये वो अपनी प्रतिज्ञा से टममस नहीं होते हैं और रुक्मिणी से विवाह करते हैं. प्रेम के इतने बड़े नायक है कृष्ण कि राधा संग अनुराग को प्रेम की संपूर्णता दे देते हैं . जयदेव का गीत गोविंद कृष्ण-राधा के प्रेम को जिस ऊंचाई पर ले जाता है वैसा मैं कहीं और पढ नहीं पाया.
जिसतरह से कृष्ण की आठ पत्नियां थीं, उसी तरह के उनकी आठ प्रेमिकाओं का विशेष तौर पर वर्णन मिलता है. ब्रम्हवैवर्त पुराण कहता है कि राधा के अलावा चंद्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या , ललिता, विशाखा और भद्रा भी कृष्ण की अनन्या प्रमिकाएं थीं. इनमें से ललिता को मोक्ष नहीं मिल पाया तो उसने बाद में राधा के रुप में जन्म लिया.
द्वारका में मणि चोरी का आरोप जब सत्राजीत ने कृष्ण पर लगाया तो उस मणि की खोज में वे आखिरकार जामवंत से लड़े और मरते हुए जामवंत की पुत्री जामवंती का हाथ थामा. सत्राजीत जब अपने आरोप के गलत साबित हो जाने के बाद प्रायश्चित पर आया तो बहन सत्यभामा का विवाह कृष्ण से कर दिया. प्रेम को लेकर कृष्ण कई तरह के प्रश्नों के घेरे में रहते हैं लेकिन अगर आप गौर से देखें तो उन्होंने हर जगह उसे संतुलित और मर्यादित रखा है.
कृष्ण द्वारका के सबसे लोकप्रिय औऱ न्यायप्रिय राजा बने. राजा के रुप में राजनीति को जैसा कृष्ण ने बनाया और कूटनीति को जितना साधा, उतना किसी और नायक में दूर दूर तक नजर नहीं आता. धर्म, दर्शन और योग में सबसे बड़े ज्ञाता दिखते हैं कृष्ण. पिछले दस साल में द्वारका पर जितना काम हुआ है उसके आधार यह संभावना भी जताई जाती रही है कि आनेवाले दिनों में कृष्ण के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं.
कृष्ण मित्र ऐसे हैं कि सुदामा के साथ उन्होंने मित्रता की वही ऊंचाई स्थापित की जो राधा के साथ प्रेम की. द्वारका के रास्ते में समुद्र के अंदर पांच किलोमीटर के दायरे में फैला भेंट द्वारका कृष्ण और सुदामा की भेंट के कई प्रमाण लिए हुए है.
दरअसल कृष्ण ने सत्य को संसार की व्यावहारिकता और आमजन के हित से जोड़कर देखने का सिद्दांत तैयार किया. छल भी सही है अगर उससे बड़ी आबादी का भला होता है. प्रेम में भाव की प्रगाढता को हमेशा मानक रखा, विजय में साधन से अधिक संधि और संघात को कारगर माना औऱ संबंध में समय पर स्वंय को सिद्द करने को अनिवार्य. इसीलिए मुझे कृष्ण को लेकर देवता से अधिक नायक का बोध होता है. एक ऐसा नायक जिसे संपूर्ण अवतार कहा जाता है- विष्णु का आठवां अवतार.