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मुंबई: सत्ता में आने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नक्सलियों के निशाने पर हैं। नक्सलियों ने प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाने की पहली कोशिश तब की थी जब वह नवम्बर 2014 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा का दौरा करने वाले थे। संयोग से एक नक्सली के इलैक्ट्रॉनिक उपकरण से प्राप्त सनसनीखेज संदेश से उनकी योजना का पता चला गया और प्रधानमंत्री का दौरा 5 माह आगे बढ़ा दिया गया। सांकेतिक भाषा में लिखा यह संदेश जिस नक्सली के पकड़े जाने पर प्राप्त हुआ वह माओवादी प्रवक्ता गुडासा उसेंडी का करीबी था। उसेंडी ने कुछ समय बाद तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।

संदेश में लिखा था, ‘लाल सलाम कामरेड! एस.एन.सी. टीम से मिली सूचना के अनुसार मोदी 1 से 5 नवम्बर के बीच दंतेवाड़ा का दौरा करने वाले हैं। इसलिए आप्रेशन ग्रीन हंट में मारे जा चुके सैंकड़ों क्रांतिकारियों का बदला लेने का अवसर आ गया है। हमें दबाने वाली सभी शक्तियों का वही हाल होगा, जो महेन्द्र कर्मा का हुआ। टेकनर और गामवाड़ा के रास्ते पर प्लाटून तैयार करो। तगड़े असर की तैयारी करनी होगी। क्रांतिकारी संघर्ष जिंदाबाद।’ संदेश में कांग्रेसी नेता महेन्द्र कर्मा का भी जिक्र उसी भांति किया गया है जैसे पिछले दिनों दिल्ली से गिरफ्तार नक्सली रोना विल्सन के लैपटॉप से मिले संदेश में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या का जिक्र किया गया था। बता दें कि महेन्द्र कर्मा ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सलवा जुडूम संगठन बनाकर नक्सल आंदोलन को कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभाई थी।

नक्सलियों ने 2013 में कांग्रेसी काफिले पर हमला कर महेन्द्र कर्मा सहित 27 लोगों की हत्या कर दी थी। छत्तीसगढ़ में अप्रैल 2018 में प्रधानमंत्री मोदी के प्रवास से ठीक 4 दिन पहले नक्सली हमले की एक और साजिश रच चुके हैं। प्रधानमंत्री की इस यात्रा से पहले हुए हमले में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डी.आर.जी.) के 2 जवान शहीद हुए थे और 5 बुरी तरह घायल हुए थे। राजीव गांधी की शैली में कोई बड़ी घटना अंजाम देने की जिस चिट्ठी का जिक्र हाल ही में पुणे कोर्ट में सरकारी वकील उज्ज्वला पवार ने किया वह पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव दौरान ही गुप्तचर एजैंसियों के हाथ लगी थी। सचेत होकर अहमदाबाद में होने वाला प्रधानमंत्री का रोड शो रद्द कर दिया गया था।