IRNSS-1H

श्रीहरिकोटा से नौवहन सैटेलाइट IRNSS-1 H के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने बताया है कि भारतीय क्षेत्रीय नौवहन सैटेलाइट प्रणाली (आईआरएनएसएस) के हिस्से, 1,425 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट को ध्रुवीय सैटेलाइट प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का रॉकेट एक्सएल अंतरिक्ष में लेकर जाएगा, जिसे गुरुवार यानि आज शाम को लगभग सात बजे तक छोड़ा जाएगा।

इसरो के सूत्रों ने बताया है कि 29 घंटे की उल्टी गिनती की प्रक्रिया बुधवार दोपहर दो बजे से शुरू हुई है। फिलहाल वैज्ञानिक प्रणोदकों को भरने में व्यस्त हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि उल्टी गिनती की प्रक्रिया ठीक से चल रही है। मिशन रेडीनेस रिव्यू एमआरआर समिति और लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड एलएबी ने 29 अगस्त को उल्टी गिनती की मंजूरी दे दी थी।

पीएसएलवी सी39 की 41वीं उड़ान-
प्रक्षेपण वाहन PSLV C39 इस सैटेलाइट के प्रक्षेपण के लिए पीएसएलवी के एक्सएल प्रकार का उपयोग करेगा, जिसमें छह स्ट्रैप ऑन्स लगे हुए हैं। प्रत्येक स्ट्रैप ऑन अपने साथ 12 टन प्रणोदक ले जा रहा है। कुल 44.4 मीटर लंबे पीएसएलवी सी39 की यह 41वीं उड़ान है। इसका प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्पेस पोर्ट के दूसरे लॉन्च पैड से किया जाएगा। इसरो ने छह छोटे और मध्यम उद्योगों के एक समूह के साथ मिल कर इस सैटेलाइट का निर्माण और परीक्षण किया है।

PM मोदी ने दिया नया नाम-
यह प्रणाली भूभागीय एवं समुद्री नौवहन, आपदा प्रबंधन, वाहनों पर नजर रखने, बेड़ा प्रबंधन, हाइकरों और घुमंतुओं के लिए नौवहन सहायता और चालकों के लिए दृश्य एवं श्रव्य नौवहन जैसी सेवाओं की पेशकश करती है। पीएम मोदी ने इसका नाम ‘नाविक’ एनएवीआईसी (नेवीगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन) रखा था।

नाविक के अंतर्गत इसरो ने सात सैटेलाइटों का प्रक्षेपण किया है। इनमें से आईआरएनएसएस 1जी का प्रक्षेपण 28 अप्रैल 2016 को किया गया है। आईआरएनएसएस 1एफ का प्रक्षेपण 10 मार्च 2016 को किया गया है। आईआरएनएसएस 1ई का प्रक्षेपण 20 जनवरी 2016 को किया गया है।आईआरएनएसएस 1डी का प्रक्षेपण 28 मार्च 2015 को किया गया है। आईआरएनएसएस 1सी का प्रक्षेपण 16 अक्तूबर 2014 को किया गया है।आईआरएनएसएस 1बी का प्रक्षेपण 4 अप्रैल 2014 को किया गया है। आईआरएनएसएस 1ए का प्रक्षेपण 1 जुलाई 2013 को किया गया है। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक सभी सात सैटेलाइटों की लागत 1,420 करोड़ रुपये है।