ओला

दिल्ली के डॉक्टर को अगवा करने की साजिश का पर्दाफाश तो पुलिस ने कर ही दिया था, इसके साथ ही ओला जैसी कैब सर्विस में होने वाली एक बड़ी लापरवाही भी इस केस ने उजागर की है। पुलिस तफ्तीश में खुलासा हुआ कि अपहरणकर्ताओं ने एक साजिश के तहत फर्जी दस्तावेज बनाकर अपनी एक गाड़ी को ओला कैब में लगाया था।

मेट्रो अस्पताल के डॉक्टर श्रीकांत गौड की किडनैपिंग में तीन नहीं बल्कि चार मास्टरमाइंड शामिल हैं। जिनमें से तीन पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं, जबकि पुलिस एक आरोपी प्रमोद की तलाश कर रही है। वो भी इस किडनैपिंग में शामिल था। उसने किसी ना किसी तरीके से इन तीनों की मदद की थी।

पुलिस को पूछताछ और जांच में पता चला कि सुशील और अनुज ने दिल्ली में एंट्री का प्लान बनाया था। अपनी खौफनाक साजिश के तहत ही उन्होंने ओला कैब में गाड़ी लगवाई थी। इस काम के लिए सुशील ने फर्जी कागजात के सहारे पहले ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया था।

फिर गाड़ी के दस्तावेज बनवाए और दिल्ली ओला कैब में गाड़ी लगवा दी। इसके बाद इन लोगों ने शिकार की तलाश शुरू की। वारदात के दिन सुशील ने डॉक्टर श्रीकांत को सवारी के तौर पर कैब में बैठाया और फिर उसके तीन अन्य साथी रास्ते में गाड़ी में आकर बैठे थे।

अपहरण की इस हाईप्रोफाइल वारदात ने दिल्ली पुलिस के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसियों के भी कान खड़े कर दिए हैं क्योंकि ओला कैब का इस्तेमाल ज्यादातर एनसीआर के लोग ही करते हैं। ऐसे में इस तरह की वारदात का शिकार कोई भी हो सकता है।

इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस के बीच तालमेल की कमी भी उजागर हुई है। जिसका नतीजा ये हुआ कि किडनैपर मेरठ में दो बार पुलिस को चकमा देकर फरार हो गए थे। अब इस मामले के खुलासे के बाद दिल्ली में संचालित कैब सर्विस पर ही सवाल उठने लगे हैं।